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ज्ञानोत्सव - 2079: दिल्ली : भारतीय शैक्षिक मूल्य वैश्विक बोध और आत्मनिर्भरता से अनुप्राणित है : प्रो. नीलिमा गुप्ता

ज्ञानोत्सव - 2079: दिल्ली : भारतीय शैक्षिक मूल्य वैश्विक बोध और आत्मनिर्भरता से अनुप्राणित है : प्रो. नीलिमा गुप्ता 


सागर। शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत के विनिर्माण में उच्च शिक्षा की भूमिका विषयक सत्र का संयोजन एवं विषय - प्रवर्तन करते हुए प्रो नीलिमा गुप्ता ने भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति और उसकी सम्भावनायें एवं वर्तमान चुनौतियों पर अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि दुनियां के दूसरा सबसे बड़ा शिक्षा विमर्श के रास्ते से ही भारत विश्वगुरु बन सकता है. राष्ट्र के समक्ष अभी सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा नीति का गुणात्मक क्रियान्वयन करते हुए उच्च शिक्षा में नामांकन की दर को 2035 तक 50 फीसदी करना है. इस संकल्प को पूरा करने के लिए समाज उन्मुख और समाज पोषित शिक्षा संरचना को बढावा देने की आवश्यकता है. पश्चिमी ज्ञान के अंधानुकरण से विमुक्त होकर ही उच्च शिक्षा अपनी स्वाभाविक दिशा पा सकती है। इसके लिए मैं भारतीय ज्ञान परम्परा को सबसे बड़े माध्यम के रूप में देखती हूँ क्योंकि भारतीय ज्ञान परम्परा के शैक्षिक मूल्य वैश्विक बोध और आत्मनिर्भरता से अनुप्राणित है। 

उक्त विचार कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 17-19 नवम्बर 2022 को पूसा सभागार, नई दिल्ली में आयोजित ज्ञानोत्सव - 2079  के दूसरे दिन उच्च शिक्षा संबंधित कुलपतियों, प्रोफेसरों एवं विद्यार्थियों के सम्मेलन में व्यक्त किया. 
कार्यक्रम में देश भर से लगभग 75 विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलाधिपति, शिक्षक, विद्यार्थी सम्मिलित हुए। विशेष बात यह भी थी कि इस आयोजन में विद्यार्थियों के साथ अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया था। 

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय ने लगाया स्टाल


आयोजन में लगभग 45 विश्वविद्यालयों ने "शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत" विषयक स्टाल लगाया। सागर विश्वविद्यालय ने अपने स्टाल पर विश्वविद्यालय के प्रकाशन जैसे मध्यभारती,  नाट्यम, इसुरी, सागरिका, भाषा भारती और अन्य प्रकाशनों के साथ ही कम्युनिटी कॉलेज द्वारा तैयार किए गए विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया. विश्वविद्यालय के द्वारा व्यक्तित्व के समग्र विकास के प्रारूप को भी प्रदर्शित किया गया, जिसमें नवीन पाठ्यक्रमों के निर्माण और उनके शिक्षण अधिग़म के लिए सैद्धांतिक मार्ग सुझाया गया है. 
 साथ ही विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों और आयोजनों को एलसीडी स्क्रीन पर लगातार चलाया जा रहा था। स्टाल पर बड़ी संख्या में आने वाले आगंतुकों को डाॅ. हरीसिंह गौर की जीवनी उपहार स्वरूप भेंट की गयी।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मा. चेयरमैन प्रो. जगदीश कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश श्री मोहन यादव, इग्नू के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित और ज्ञानोत्सव के आयोजक श्री अतुल कोठारी के साथ लगभग एक हजार लोग उपस्थित थे।
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