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रजक समाज की बेटी यशवी ने दी पिता को मुखाग्नि, कहा मैं अपने पापा का बेटा हूं

रजक समाज की बेटी यशवी ने दी पिता को मुखाग्नि, कहा मैं अपने पापा का बेटा हूं


जबलपुर । पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है, बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकतीं, इस सामाजिक सोच से ऊपर उठकर नगर में एक बेटी ने न सिर्फ पिता की अंतिम शवयात्रा में कंधा लगाया बल्कि मुखाग्नि प्रदान कर बेटा होने का फर्ज निभाया । अंतिम संस्कार की सारी रस्में खुद निभाई। समाज की रूढिवादिता से ऊपर उठकर बेटी ने समाज को एहसास करा दिया कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होता।


जबलपुर के कृपाल चौक के पास बचई की गली,गुप्तेश्वर निवासी सीमांत रजक का ब्रेन हेम्ब्रेज के कारण निधन हो गया । धर्मपत्नी मधुलता रजक,शिक्षिका और बेटियां यशवी रजक एवं शिवांगी रजक हैं।पिता के ब्रेन हेम्ब्रेज हो जाने के बाद आठ दिवस चिकित्सीय प्रयासों के बाद पिता जिंदगी की जंग हार गये । 



पिता सीमांत रजक के निधन के बाद परिजनों ने चर्चा की पिता को मुखाग्नि कौन देगा क्योंकि उनका बेटा तो है नहीं. रोती बिलखती आवाज सुनाई दी कि क्या यह मैं कर सकती हूँ. परिजनों ने एकराय होकर अपनी सहमति जाहिर की .यशवी रजक जो जबलपुर के सेंट जोसफ कान्वेंट स्कूल में पीसीएम ग्रुप की बारहवीं की छात्रा है अपने पापा की लाडली बहुत रही,जो अपने पापा के साए की तरह साथ रही। 

यशवी का कहना है कि उनके पापा ने हमेशा बेटे जैसा प्यार दिया तो उसने भी बेटी के साथ बेटे का फर्ज निभाया है। वह इस बात पर काफी संतुष्ट दिखी कि उसके परिवार वालों ने उसके इस निर्णय पर भरपूर साथ दिया। परिजन उसके निर्णय के साथ खड़े दिखाई दिए। 
चिता को मुखाग्नि सिर्फ बेटे ही दे सकते हैं बेटियां नहीं। बेटी यशवी रजक ने पिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभा कर समाज को आईना दिखाने का काम किया है।यशवी सागर के सांसद राजबहादुर सिंह के निज सहायक रविकांत रजक की भांजी है। 



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एडिटर: विनोद आर्य
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