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सत्कर्मों से निर्मित कीर्ति - काया अमर रहती है - डॉ.सुरेश आचार्य ▪️ अशोक रैकवार के समाजसेवी भाव को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि : शरद सिंह

सत्कर्मों से निर्मित कीर्ति - काया अमर रहती है - डॉ.सुरेश आचार्य 

▪️ अशोक रैकवार के समाजसेवी भाव को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि : शरद सिंह


सागर,01 अप्रैल,2023। समाजसेवी, साहित्य, संस्कृति, कला प्रेमी‌ अशोक गोपीचंद रायकवार की 71 वीं जन्म जयंती पर श्यामलम् एवं पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन सागर द्वारा शनिवार को जे जे इंस्टीट्यूट सिविल लाइंस में स्मृति आयोजन किया गया। जिसमें नगर की कला,साहित्य से जुड़ी संस्थाओं और प्रबुद्ध नागरिकों ने उनकी यादों को साझा किया, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ज्ञातव्य है कि सुप्रसिद्ध रंगकर्मी अनामिका और अश्विनी सागर‌ के पिता श्री अशोक रायकवार का 8 मार्च को वाहन दुर्घटना में दु:खद निधन हो गया था।

कार्यक्रम में स्नेहिल उपस्थिति देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुरेश आचार्य ने कहा कि जन्म और मृत्यु का संयुक्त समारोह केवल भारतीय संस्कृति के समृद्ध वितान के नीचे ही संभव है। मनुष्य की देह तो नश्वर है परंतु उसके सत्कर्मों से निर्मित कीर्ति - काया अमर रहती है। उसे ही स्मरण कर श्री अशोक जी को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति इसका प्रमाण है।
मुख्य वक्ता डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने स्व. अशोक गोपीचंद रैकवार जी से संबंधित अपने संस्मरण को सुनाते हुए कहा कि भाई अशोक रैकवार का निधन सिर्फ़ व्यक्तिगत क्षति नहीं वरन पूरे समाज के लिए क्षति है। अशोक भाई अपने नाम के अनुरूप सबको शोक मुक्त देखना चाहते थे, सबको खुश देखना चाहते थे। 


 कार्यक्रम के सह - संयोजक पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन के सचिव आशीष ज्योतिषी ने स्व.रायकवार के अद्भुत व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए उनकी सर्वप्रियता और अपने आत्मिक संबंधों को अभिव्यक्ति दी।
वरिष्ठ बुंदेली गायक शिवरतन यादव ने लोक कवि ईसुरी के गीत "जा दिन जो पंछी उड़ जानें " का गायन कर श्रोताओं की आंखें नम कर दीं। वरिष्ठ रंगकर्मी भगवानदास रायकवार ने स्व.अशोक के साथ बिताए महत्वपूर्ण पलों को विस्तार से बताया।स्व.अशोक रायकवार के पुत्र अश्विनी सागर‌ ने उनकी जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला।

प्रारंभ में आयोजक संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय दिया।स्वर संगम समिति अध्यक्ष हरीसिंह ठाकुर ने सुचारु संचालन किया और श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सभागार में उपस्थित विभिन्न संस्थाओं के द्वारा रायकवार के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। संवेदना पत्रों का वाचन श्यामलम् से संतोष पाठक,श्रीराम सेवा समिति से डॉ विनोद तिवारी और त्रिपाठी परिवार के संवेदना पत्र का वाचन एम डी त्रिपाठी ने किया।

कार्यक्रम में नगर की विभिन्न संस्थाओं एकता समिति से कमल कुमार जैन,प्रलेस से टी आर त्रिपाठी,महिला काव्य मंच से डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी,बुंदेलखंड हिंदी साहित्य सम्मेलन से पूरन सिंह राजपूत, हिंदी उर्दू साहित्यकार समिति से के एल तिवारी ,लेखक संघ से बिंद्रावन राय सरल, हिंदी सेवा समिति से ज ला राठौर प्रभाकर, विद्युत विभाग से बी पी उपाध्याय और शिक्षक कवि अंबर‌ चतुर्वेदी चिंतन ने वक्तव्यों में स्व.अशोक को स्मृत किया।
इस अवसर पर पाठक मंच केंद्र संयोजक आरके तिवारी, ललित कला मंडल अध्यक्ष मुन्ना शुक्ला,आर्ष परिषद अध्यक्ष डॉ. ऋषभ भारद्वाज, म.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन उपाध्यक्ष डॉ.चंचला दवे,
लेखिका संघ अध्यक्ष श्रीमती सुनीला सराफ,सत्यम संग्रहालय से दामोदर अग्निहोत्री, सुधीर जैन एकता समिति, छत्रसाल बुंदेली संगीत समिति से पुष्पेंद्र दुबे कुमार सागर, मुकेश तिवारी,
 डॉ जी एल दुबे, दीपाली गुरु, सुबोध मलैया, कुंदन पाराशर, असीमदत्त दुबे, अशोक तिवारी अलख, मुकेश जैन निराला, सोनाली मांझी, अनामिका तिवारी, सोमेंद्र शुक्ला, देवी सिंह राजपूत, राजेन्द्र कुमार वर्मा, डॉ अनामिका सागर,अजय रायकवार सहित स्व.रायकवार के परिजनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम के अंत में स्व.रायकवार और वरिष्ठ रंगकर्मी राजेन्द्र दुबे कलाकार की मां के निधन पर मौन श्रद्धांजलि दी गई।


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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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